चातुर्मास Chaturmas भगवान विष्णु हर साल आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन चार महीने के लिए सो जाते हैं।
- आषाढ़ माह की देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू होता है . इसी दिन से भगवान श्रीहरि क्षीरसागर में विश्राम करने चले जाते हैं.और कार्तिक माह में देवउठनी एकादशी पर खत्म होता है इस दिन भगवान विष्णु निद्रा से जागते हैं और चातुर्मास खत्म होता है. . साथ ही 4 महीनों से रुके हुए मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है. It is believed that Lord Vishnu, the protector of the world, is going to sleep for a specific period of 4 months and it also marks the beginning of Chaturmas. After four months of sleep, Lord Vishnu wakes up from sleep on the Ekadashi of Shukla Paksha in the Kartik month.
- देवशयनी एकादशी : इस वर्ष (साल 2023 में) भगवान विष्णु के सोने की यह तिथि 29 जून से शुरू होगा, इस दिन से भगवान विष्णु कार्तिक शुक्ल एकादशी 23 नवंबर तक शयन करेंगे।
- देवोत्थान/ देवउठनी एकादशी इस वर्ष (साल 2023 में) 23 नवंबर 2023 को है। ।
सनातन धर्म में चातुर्मास को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है.
- शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान विष्णु जब तक सोते हैं उन दिनों में कोई भी शुभ काम जैसे शादी, जनेऊ, मुंडन, मकान की नींव डालने का काम नहीं किया जाता है। अब सवाल यह उठता है कि क्या वास्तव में भगवान विष्णु सो जाते हैं या भगवान के सोने का कुछ और मतलब है।
- चातुर्मास के 4 महीनों में ज्यादा से ज्यादा समय पूजा-पाठ और भगवान की भक्ति में लगाया जाता है. कई तरह के नियमों का पालन किया जाता है. साधु-संत चातुर्मास में यात्रा नहीं करते हैं, बल्कि एक ही जगह रहकर भगवान की भक्ति में लीन रहते हैं.
- भगवान विष्णु के योगनिद्रा में लीन रहने के समय को चातुर्मास को कहा जाता है. जो कि देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी के बीच का समय होता है.
यह है भगवान विष्णु के चार महीने तक सोने का रहस्य
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पुराणों में बताया गया
इन सवालों का जवाब शास्त्रों और पुराणों में दिया गया है। पुराणों में बताया गया है कि राजा बलि ने तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया। घबराए इंद्र ने जब भगवान विष्णु से सहायता मांगी तो विष्णु ने वामन अवतार लिया और राजा बलि से दान मांगने पहुंच गए। वामन भगवान ने दान में तीन पग भूमि मांगी। दो पग में भगवान ने धरती और आकाश नाप लिया और तीसरा पग कहां रखे जब यह पूछा तो बलि ने कहा कि उनके सिर पर रख दें। इस तरह बलि से तीनों लोकों को मुक्त करके भगवान विष्णु ने देवराज इंद्र का भय दूर किया। लेकिन राजा बलि की दानशीलता और भक्ति भाव देखकर भगवान विष्णु ने बलि से वर मांगने के लिए कहा।
Vaman avtar वामन
बलि ने भगवन से कहा कि आप मेरे साथ पाताल चलें
बलि ने भगवन से कहा कि आप मेरे साथ पाताल चलें और हमेशा वहीं निवास करें। भगवान विष्णु ने अपने भक्त बलि की इच्छा पूरी की और पाताल चले गए। इससे सभी देवी-देवता और देवी लक्ष्मी चिंतित हो उठी। देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को पाताल लोक से मुक्त कराने लिए एक चाल चली और पहुंच गई एक गरीब स्त्री बनकर राजा बलि के पास। इन्होंने राजा बलि को राखी बांधी और बदले में भगवान विष्णु को पाताल से मुक्त करने का वचन मांग लिया।
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Vaman avtar वामन
बलि को वरदान दिया
भगवान विष्णु अपने भक्त को निराश नहीं करना चाहते थे इसलिए बलि को वरदान दिया कि वह साल आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक पाताल लोक में निवास करेंगे। इसलिए इन चार महीनों में भगवान विष्णु योगनिद्रा में रहते हैं और वामन रूप में भगवान का अंश पाताल लोक में होता है।
एक अन्य कथा ds vuqlkj चार महीनों में भगवान विष्णु योगनिद्रा में रहते हैं
एक अन्य कथा है कि शंखचूर नाम के असुर से भगवान विष्णु का लंबा युद्ध चला और अंत में असुर मारा गया। युद्ध करते हुए भगवान बहुत थक गए और तब भगवान शिव को त्रिलोक का काम सौंपकर भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले गए। इसलिए इन चार महीनों में भगवान शिव ही पालनकर्ता भगवान विष्णु के काम भी देखते हैं। यही कारण है कि सावन में भगवान शिव की विशेष पूजा होती है।
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भगवान विष्णु
चातुर्मास 2023 में ना करें ये काम
– चातुर्मास के दौरान कोई मांगलिक कार्य जैसे विवाह, शहद, मुंडन, गृहप्रवेश, नए व्यापार की शुरुआत आदि नहीं करना चाहिए. चातुर्मास का समय पूजा-पाठ के लिए ही उपयुक्त रहता है.
– चातुर्मास के दौरान नॉनवेज, शराब, मूली, बैंगन, लहसुन-प्याज का सेवन ना करें.
– चातुर्मास के दौरान एकांतवास करना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.